मैं ,सम्राट अशोक और प्रधानमंत्री मोदी :- अशोक स्तंभ के सिंह का स्वरूप ( तब और अब के विशेष परिपेक्ष्य में)
मैं ,सम्राट अशोक और प्रधानमंत्री मोदी :- अशोक स्तंभ के सिंह का स्वरूप ( तब और अब के विशेष परिपेक्ष्य में) बहुत ही प्राचीन काल की बात है। विक्रम से लगभग 200 वर्ष पूर्व की बात है या कह लीजिए ईसा के पैदा होने से लगभग 300 वर्ष पहले का समय है। आज़ से लगभग 2400 वर्ष पूर्व की घटना है। मैं तत्कालीन मगध सम्राट अशोक के साथ प्रातः कालीन वॉकिंग करने निकला था। हमारे साथ बड़ी भारी मात्रा में अंगरक्षक आगे और पीछे सुरक्षा दायित्वों का निर्वहन कर रहे थे। हम लोगों के साथ तमाम विजित प्रदेशों के नियुक्त शासक, सुरक्षाधिकारी, मगध के अमात्य भी उपस्थित थे। मैंने उन्हें विशेष तौर पर मार्निग वॉक पर आने के लिए निर्देशित किया था कलिंग युद्ध के पश्चात, जब अशोक विजय उपरांत मानसिक अशांति के दौर से गुजर रहें थे तब उनके अतः पुर से महारानी सहित चिंताग्रस्त हितैषियों ने मुझे सूचित किया था , उनका निवेदन पूर्वक आग्रह था कि इस कठिन समय में सम्राट को सही सलाह देकर मैं मगध को इस आसन्न संकट की घड़ी से बाहर निकाल सकूं। मेरा हमेशा से यह मानना रहा है कि शासक को अपने मातहत के साथ अनौपचारिक रूप से भी कुछ वक्त बिताना चाहिए। यह बात